भले ही तीन तलाक पर फैसले के बाद अब निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा न्यायिक दायरे में है लेकिन सिने अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक ही झटके में शौहर द्वारा बीवी को तीन तलाक देने और बाद में पछतावा होने पर उसे फिर अपनाने के लिये प्रचलित निकाह हलाला की प्रथा में महिला की वेदना उजागर करते हुए “मियां कल आना" शीर्षक से एक लघु फिल्म बनाई। इसमें आवेश में उठाये गये अविवेकपूर्ण कदम के दुष्परिणामों को बेहद मार्मिक तरीके से दिखाया गया है। एक ही बार में तीन तलाक की प्रथा से पीडित पत्नी को फिर से अपनाने के लिये निकाह हलाला की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। निकाह हलाला और बहविवाह प्रथा के खिलाफ भी मस्लिम महिलाओं ने आवाज उठाई है और वे चाहती हैं कि इन प्रथाओं पर भी बंदिश लगे। इसी प्रक्रिया में शीर्ष अदालत में दायर कई याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा गया है। इन प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाली मुस्लिम महिलाओं का तर्क है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में प्रदत्त इन तमाम किस्म की शादियों से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है ।एक याचिका में तो निकाह हलाला के साथ ही निकाह मताह और निकाह मिस्यार को भी भी चुनौती दी गई है। ये दोनों प्रथायें अस्थाई निकाह हैं और इनके लिये पहले से ही इस रिश्ते की मियाद निर्धारित होती है। यह समझना जरूरी है कि आखिर निकाह हलाला प्रथा क्या है? छोटी-छोटी बातों पर आवेश में आकर बीवी को एक ही बार में तीन तलाक देने और बाद में गलती का अहसास होने पर उसे दुबारा अपनाने से पहले किसी अन्य व्यक्ति से निकाह करने और उससे तलाक के बाद पूर्व पति से शादी शादी की प्रक्रिया से गुजरने पर महिला को मजबर करने वाली प्रथा निकाह हलाला हैमियां कल आना' में नवाजद्दीन सिद्दीकी ने दिखाया है कि एक युवक गुस्से में अपनी पत्नी को तलाक दे देता है। वह अपने निर्णय से परेशान है और इसे लेकर घर में हंगामे की वजह से वह उसे फिर से अपनी बीवी बनाना चाहता है लेकिन निकाह हलाला की प्रथा आड़े आ जाती है। गांव में कुछ परिचितों की सलाह और प्रयासों से एक मौलवी साहब को इस प्रक्रिया के लिये तैयार किया जाता है। यह मौलाना 25 हजार रुपए लेकर इसके लिये तैयार हो जाते हैं मौलाना के साथ इस महिला का निकाह हो जाता है। युवक जब अगले दिन अपनी पूर्व बीवी को लेने मौलाना के यहां पहुंचता है तो वह बहाना बनाते हुए कहते हैं कि मियां कल आना। यह सिलसिला करीब एक महीने चला और मौलवी साहब लगातार बेबस युवक को टालते रहे। अंततः युवक को मौलवी साहब की नीयत पर संदेह हुआ और उसने उनकी बुरी तरह पिटाई कर दीमामला पंचायत में पहुंचा। पंचायत जहां मौलवी साहब के रवैये की निन्दा करती है वहीं निकाह हलाला की प्रथा को भी गलत और महिला के लिये अपमानजनक बताती है ।मस्जिद के अंदर पचायत में हो रही बहस लाउडस्पीकर से बाहर सुनाई पड़ रही है। इसी में कहा जाता है कि तलाक किसने दिया, शौहर ने । गुस्सा किसे आया, शौहर को। गलती किसकी शौहर की और सजा किसे मिल रही है? तू (शौहर) अपना हलाला करवाये हलाला क्या है? ये औरत है, भेड़ बकरी नहीं हैं, ये औरत है, गाय भैस नहीं है कि आज इस किल्ले से बांध दो और कल दूसरे किल्ले से। संविधान पीठ को सौंपी याचिकाओं में मुस्लिम महिलाओं के बुनियादी हकों की रक्षा करने साथ बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाने और निकाह हलाला को भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत बलात्कार घोषित करने का अनुरोध किया गया है। इनमें यह भी दावा किया गया है कि इन प्रथाओं से संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। एक याचिका में तो महिला को एक बार में तीन तलाक देने को भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत क्रूरता और निकाह हलाला को बलात्कार का अपराध घोषित करने का अनुरोध किया गया है। इसी तरह, याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत बहुविवाह अपराध है परंतु मस्लिम पर्सनल लॉ की वजह से यह प्रावधान इस समुदाय पर लागू नहीं हो रहा है। इस वजह से विवाहित मुस्लिम महिला के पास ऐसा करने वाले अपने पति के खिलाफ शिकायत करने का रास्ता नहीं है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि मुस्लिम विवाह विच्छेद कानून, 1939 को असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का हनन करने वाला घोषित किया जाये देखना यह है कि तीन तलाक को बहमत के फैसले में असंवैधानिक घोषित करने के बाद अब संविधान पीठ का निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर क्या रुख होगा
सामाजिक अन्याय के खिलाफ मुखर स्वर